
बातें प्रेम भरी, आँखों से ही हो
साँसे मद्धम हों, रातें शबनम हों
रात की खामोशी, उफ़ ये मदहोशी
हो जन्नत की सैर, और फिर बेहोशी
होश गवाँ कर भी, खुशियाँ मिलती हो
साँसे मद्धम हों, रातें शबनम हों
सारी रात कटे, तेरी बाहोंमें
मीठा दर्द बहे, तेरी आहों में
लाली सुबहा की, जैसे दुल्हन हो
साँसे मद्धम हों, रातें शबनम हों
ऐसे चलता हो, कुदरत का ये खेल
जैसे सब कुछ हो, पल दो पल का मेल
पल दो पल में ही, दुनिया बनती हों
साँसे मद्धम हों, रातें शबनम हों
बातें प्रेम भरी, आखों से ही हो
साँसे मद्धम हों, रातें शबनम हों
गीतकार एवं संगीतकार :- 'बेशुमार'
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