09 March, 2010

बातें प्रेम भरी





बातें प्रेम भरी, आँखों से ही हो
साँसे मद्धम हों
, रातें शबनम हों

रात की खामोशी, उफ़ ये मदहोशी
हो जन्नत की सैर
, और फिर बेहोशी
होश गवाँ कर भी
, खुशियाँ मिलती हो
साँसे मद्धम हों
, रातें शबनम हों


सारी रात कटे, तेरी बाहोंमें
मीठा दर्द बहे
, तेरी आहों में
लाली सुबहा की
, जैसे दुल्हन हो
साँसे मद्धम हों
, रातें शबनम हों


ऐसे चलता हो, कुदरत का ये खेल
जैसे सब कुछ हो
, पल दो पल का मेल
पल दो पल में ही
, दुनिया बनती हों
साँसे मद्धम हों
, रातें शबनम हों


बातें प्रेम भरी, आखों से ही हो
साँसे मद्धम हों
, रातें शबनम हों


गीतकार एवं संगीतकार :- 'बेशुमार'

No comments:

Post a Comment