08 March, 2010

एक निरंजन - राग:- मांड


मोरे अंतर भीतर एक निरंतर
एक निरंजन रे
मोरे अंतर भीतर एक निरंतर
एक निरंजन रे
एक निरंजन
, एक निरंतर
एक निरंतर
, एक निरंजन
देख निरंजन संग ना लागे कोई अंतर रे


सूरत वा की निरख़्त में
आज हुआ हैरान
सात सूरों का सागर हो या
हो कोई नादान
सब में उसकी लागे तान
चिंतन छोड़ करूँ किरतन
निरंतर एक निरंजन रे


राग:- मांड
गीतकार:- 'बेशुमार' (Bhavesh N. Pattni)
संगीतकार:- सूर-पिया (Bhavesh N. Pattni)

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