08 March, 2010

तेरी दुनिया


तेरी दुनिया चश्म होता खुश-नुमा संगम है,
खूबसूरत
ख़ाब खोजे
, खुद-नुमा आलम है,
दश्त
--दुनिया दर--दर की देखता दिन रात वो,
दायरा
--वक़्त के ही दरमियाँ आदम है

ज़िन्दगी और मौत का, यूँ फासला तो कम है,
रोक लूँगा हर कज़ा को
, मुझ में गर ये दम है,
नब्ज़ का रुकना हमारी ज़िन्दगी का
'सम' है,
शब
-सबा तेरी है खालिक़, तू ही तू हर-दम है

खल्क़ से हों इब्न रुखसत, तो ग़म--मातम है,
ईद गर होती ये तेरी
, आँख क्यूँ कर नम है?,
हम
-नफ़स तुझसे खुदाया, तेरा ये हम-दम है,
तेरा तेरे पास आए
, वो तेरी मोहर्रम है

- '
बेशुमार'' (Bhavesh N. Pattni)

Written on 18-2-2010, 20 hours 30 min., Ahmedabad on Nirmal Pandey's death


चश्म = Sight, Eye

खुश-नुमा = Happy

खूबसूरत = Beautiful

ख़ाब = Dream

खुद-नुमा = Self-possessed

दश्त = Dust

दायरा- = Periphery

दायरा--वक़्त = Hands of time

आदम = First man born, man

कज़ा = Fate, jurisdiction, death

नब्ज़ = Vein

सम = End

ईद = Arabic – 'festivity'

शब = Night

सबा = Morning

खालिक़, = मालिक i.e. God

हर-दम = Every Time

मोहर्रम = The day of grief


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